आज भी मुझे,
मेरी भीतर की शक्ति,
का अहसास
दिलाता है,
प्रेरित
करता है,
अडिग रखता है,
प्रतिकूलताओं में स्थिर रखता है,
चाचा चौधरी-साबू
(के पास) का,
एक पुतला,
जिसे कितनी ही बार चित्त करो,
वह उठ खड़ा
होता है,
ऊर्ध्वाधर गुरुत्वकेंद्र,
उसकी शक्ति का श्रोत है,
जो उसे कभी गिरने नहीं देती,
पिंड का उसे अपनी ओर खीचना,
ही इसका रहस्य है,
मुझे भी भीतर,
एक ऊर्जा का श्रोत दिखता है,
जो सायद भक्ति है,
श्रद्धा
है, विश्वाश है,
जो सत्य है,
जो शिव है,
जो सुन्दर है,
जो अनंत है,
मेरे ह्रदय में उसका होना,
अनंत का मुझे
अपनी ओर खीचना,
ये प्रेम ही है,
जो मुझे एकाग्र करती है,
जिवंत बनाये रखती है,
1 comment:
Very Nice Poem
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