मुझे नहीं शिकायत,
गिला शिकवा औरों से,
ना ही किया नफरत,
अपनो या गैरों से,
पर ये कैसी सजा है मौला,
तेरे लिए,
तुझसे भागता हूँ,
चुप रह कर सहता,
छिपता-छिपाता,
उसूलों के लिए,
उसूलों से मुह फेरे,
आयने में खुद को देखता हूँ,
कमजोर, बेबस,
शिकायतो के ढेर में.....
1 comment:
Very Nice Poem
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