मुझे गर्व है खुद पे,
जब अपनी ही नजरो में,
और आयने में,
खुद को देखता हूँ,
और पाता हूँ,
चुपचाप चन्दन की तरह घिसता,
फिर भी खुसबू बिखेरता,
सहने का अदम्य शाहस,
मान-अपमान से रहित,
आरोप-प्रत्यारोप से दूर,
खुद को अडिग,
सहज-स्वक्ष,
अल्हर,
कृत्रिमता से परे,
प्रकृति में लीन,
दुख और अबसादो में भी ढूढ़ लेता,
ईश्वर का आलोक,
रंग-ताल-लय-छंद-तरंगित,
सुमधुर जीवन को,
प्रयासरत आजीवन,
अपना ही सच्चा प्रयास,
सचमुच अच्छा लगता है,
और खुद पे गर्व होता है,
1 comment:
Very Nice Poem
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