बलात उस प्रतिस्पर्धा का हिस्सा हूँ,
जिसके नियम मुझे पता नहीं,
जिसके मानदंडों में मेरी हिस्सेदारी नहीं,
जिसमे मैं दौड़ता हूँ,
बिना कुछ जाने,
और,
जिसका परिणाम,
मेरे दौड़ने से ज्यादा,
आयोजक पर निर्भर करता है,
आरोप-प्रत्यारोप से घिर
जाता हूँ,
अबसादो से भर जाता हूँ,
क्योंकि ?
हर बार मैं जित नहीं सकता,
समय को बांध नहीं सकता,
क्या कहूँ मैं उसको,
जिसने मुझे इसीलिए बनाया
है,
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