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Friday, January 1, 2016

अक्षय सुख के विपुल भंडार

सत्य, धर्म, कर्तब्य पालन,
पुरुष के पुरुषार्थ से,
समुद्र मंथन और साहस,
अहंकार के त्याग से,
सहज स्वक्ष प्रेम स्नेह,
भीतर के आवाज(बुद्धि-विवेक) से,
प्रार्थना आशीर्वाद और सहयोग,
प्रारव्ध के स्वीकार्य से,
आप हरपल समृद्ध होते है,
अक्षय सुख के विपुल भंडार से,

10 comments:

उमेश कुमार said...

प्रभावी रचना।

teriliyejindagi.blogspt.com said...

Atiuttam racha.

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Atiuttam racha.

teriliyejindagi.blogspt.com said...

Atiuttam rachna

Madhulika Patel said...

बहुत बढ़िया ।

अभिव्यक्ति मेरी said...

आध्यात्मिक रचना अच्छी लगी।
मेरी कविताएं पढें .....अब खून भी बहता नहीं, पर जख्म भी बढते गये,
और दर्द शायरी में , उतरता चला गया .........click on http://manishpratapmpsy.blogspot.com

विभा रानी श्रीवास्तव said...

आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" शनिवार 08 जुलाई 2017 को लिंक की जाएगी ....
http://halchalwith5links.blogspot.in
पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद!


सुशील कुमार जोशी said...

सुन्दर।

Ravindra Singh Yadav said...

गागर में सागर। वाह। सुन्दर रचना।

Shubh Mandwale said...

Very Nice Poem
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