मेरी कवितायेँ ,
मेरी मुर्खताओं को,
मेरी बचपना को,
मेरी कौतुहलता को,
सुन्दरता से चित्रित करती है,
विनम्रता से कहती है,
कैसे मैं भटकता हूँ,
कितना मैं अस्थिर हूँ,
मेरी दृष्टी गतिमान है,
सुन्दर-कुरूप,
सच-झूठ,
अच्छा-बुरा,
जानने में व्यस्त हूँ,
समझने में मस्त हूँ,
बताने में उत्सुक हूँ,
......
अब तक तो मुझे,
चुप हो जाना चाहिये,
मौन हो जाना चाहिए ,
ध्यानस्त हो जाना चाहिए,
No comments:
Post a Comment