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Thursday, May 30, 2013

मेरा सच ही मेरी शक्ति है.....

मैं हूँ खड़ा,
अविचल डटा,
रुख मोड़ने समय का,
चट्टान सा दृढ अकेला.....
मुड़ता हुआ समय का रुख,
देखता हूँ,
और खुद में झाँकता हूँ,
और बिसमित होता हूँ,
मैं कमजोर,
नम्र-विनम्र,
झुका हुआ-टुटा हुआ,
समय की आग में जला हुआ,
कैसे खड़ा रह पता हूँ ?
तो पाता हूँ !!!!!
मेरा सच ही,
मेरी शक्ति है,
भावनाओं की भक्ति है,
आस्था है-विश्वाश है,
और अहँकार रहित होना ही,
मुझे पात्र बनता है,
प्रकृति के आशीर्वाद का,
पानी की बूंदों से उर्जावान होने का,
हवा के झोंके से बलबान होने का,
सूर्य की तेज से आलोकित होने का,
मिटटी से धैर्य स्थिर बुद्धि होने का,
आकाश से अनन्त कल्पनाओं का,
विवेक और ज्ञान से जीने का,

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