हम ज्ञान कहें,
विज्ञान कहें,
तर्क कहें,
या आध्यात्म,
पर !
तुने बाध्य किया है,
कि तुझे पुकारे,
मुझे यह नहीं पता,
किसने मुझे बताया,
औरों ने या मेरे भीतर ने,
पर !
मैं तुझे पुकारता हूँ,
यह जानते हुए भी कि,
तुम वही करोगे,
जो तुम्हे करना है,
मैं असहाय,
आशाओं की दीप जला,
अँधेरे से लड़ता हूँ,
और
तुम्हें ढूंढता हूँ
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