काश कभी ऐसा होता,
तुम्हारी आँखों में,
तुम्हारी सपने दिख जाती,
और मैं उसमे रंग भर पता,
उसे अपना गीत बना पता,
मेरे सपने तुम्हारी मीत बन जाती,
चुपके से ही सही,
दिल में बात उतर जाती,
ठहरी हुई आँखों की चमक,
धरकनो को दिखा जाता,
और ये दुरी मिटा जाता,
कैसे कहूँ जो कहना है,
इन एहसासों को कैसे सहना है,
कैसे आँखों में खो सा जाता हूँ,
तुम्हारे सामने लाचार हो जाता हूँ,
कभी तो हाथ पकड़ लो मेरा,
की समय पूरब की करवट ले,
और उजाला ही उजाला हो,
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