खिलती हुई गुलाब हो तुम,
ओस कि बूंदों से लिपटी हँसती कली,
बहती नदी से झरने तक,
पहाड़ो से वादियों तक,
खलिहानों से पेड़ो के झुरमुट तक,
बर्फीली ढलानों से नीले आसमान तक,
तुम्हारी ही मुसकुराहट है,
तितलियों कि उड़ानों में तुम,
उगते सूरज कि लाली में तुम,
बहती हवाओं कि फ़िजाओं में तुम,
चाँदनी कि शीतल प्रकाश हो तुम,
मेरी धरकनो कि आवाज हो तुम,
मेरी सांसो कि राग हो तुम,
मेरी गुनगुनाई गीत हो तुम,
मेरे मन कि मीत हो तुम |
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