सत्य, धर्म, कर्तब्य
पालन,
पुरुष के पुरुषार्थ
से,
समुद्र मंथन और साहस,
अहंकार के त्याग से,
सहज स्वक्ष प्रेम
स्नेह,
भीतर के आवाज(बुद्धि-विवेक)
से,
प्रार्थना आशीर्वाद
और सहयोग,
प्रारव्ध के
स्वीकार्य से,
आप हरपल समृद्ध होते
है,
अक्षय सुख के विपुल
भंडार से,