समय के परिपेक्ष,
सच और झूठ,
एक माया है,
एक अंत हिन् यात्रा,
अनंत तक,
अपवादों और विडम्बनाओं,
संभावनाओं का रंग/रंग-मंच,
रोमांचित करता है,
थकाता है,
और कहता है,
सच और झूठ,
सच और झूठ है,
आयामों से देखने की कोसिस,
सार्थक /निरर्थक है,
क्योंकि ?
सिर्फ निर्माता ही ये जनता है,